Soil Testing Methods

किसी भी पौधे कि ऊपज तभी अच्छी होती है जब मिट्टी की क्वालिटी बेहतर होती है सही फसल के लिए सही मिट्टी तैयार करना हमेशा ही बेहतर माना जाता है।

Soil Testing Methods

आजकल जो प्रोग्रेसिव किसान है वह हमेशा ही फसल बोने से पहले खेतों की मिट्टी टेस्ट करवा लेते हैं कि मिट्टी किस सिचुएशन में है और वह बीज व पोधो को बेहतर पोषण दे पाएगी या नहीं तो देश की धरती तभी सोना उगले कि जब उसकी उर्वरक क्षमता बेहतर होगी।

Soil Testing Methods in India

आज हम आपको बताऐगे कि खेती के लिए मिट्टी कैसी है इसका पता आप कैसे लगा सकते हैं मिट्टी की गुणवत्ता का कैसे पता लगा सकते है इससे पहले जानते हैं कि इंडिया में किस प्रकार की मिट्टी किस प्रकार की फसल के लिए बेहतर है।

Alluvial Soil :- देश कि कुल जमीन का लगभग 35% हिस्सा इसी मिट्टी से ढका हुआ है यह वाली मिट्टी ज्‍यादतर उत्‍तरी भरत में पाई जाती है ।

इसमे फॉसफोरीक एसीड और ऑर्गेनिक मैटर ज्‍यादा होते हैं पर नाइट्रोजन और पोटाश की कमी होती है कपास, गेहूं, बाजरा, चना सोयाबीन और किसी भी तरह की तेल वाले बीज और फल सब्जियां इस मिट्टी में उगाई जाती है।

Black Soil :- इसे Cotton Soil भी कहते हैं तेलंगाना, महाराष्‍ट्र, आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में यह मिट्टी ज्यादा मिलती है ।

चावल, गंन्‍ना, गेहूं, ज्वार, सनफ्लावर स्वाद में खट्टे फल और सब्जियां ऊगाने के लिए ये मिट्टी बहुत उपजाऊ मानी जाती है ।

Read and Yellow Soil :-  ये मिट्टी छत्तीसगढ़, उड़ीसा और वेस्टर्न घाट हिस्सों में मिलती है इसमें रेत काफी होती है और पोटाश भी ।

चावल, गेंहू, गन्‍ना, आलू, आम, संतरा और सब्जियां उगाने के लिए यह मिट्टी बेहतरीन है।

Laterite Soil :- कर्नाटका, तमिलनाडु, केरल, मध्य प्रदेश, उडीसा और आसाम में यह मिट्टी पाई जाती है।

जो कपास, चावल, गेहूं, चाय, कॉफी, नारियल, रबड़, काजू जैसी फसल के लिए बेहद अच्छी मानी जाती है।

Arid Soil

Mountain Soil

Desert Soil

जैसी मिट्टी कि प्रजातीयां भारत में मौजूद है !

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Desert Soil यानी रेगिस्तानी मिटटी में Millet और Barley उगाई जाती है।

पहाड़ी मिट्टी चाय, कॉफी, मसाले और ट्रॉपिकल फ्रूट के लिए अच्छी मानी जाती है।

खेती करने से पहले आप मिट्टी टेस्टिंग नहीं करवा रहे हैं तो समझ लीजिए कि आप अंधरे में तीर चला रहे हैं।

Soil Testing में मिट्टी का PH लेवल नापा जाता है जिसे पता चलता है कि कि मिट्टी  कितनी एसीटीक है ।

और मिट्टी  में फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम, मैग्नीनिज, नाईट्रोजन, जिंक और लाइम की कितनी मात्रा मौजूद है ।

किसानों को कम से कम साल में एक बार मिट्टी टेस्टिंग तो जरूर से करवानी ही चाहिए ताकि मिट्टी की उर्वरता का पता चलता रहे और मिट्टी में जिस किसी भी चीज कि कमी है उसे दूर किया जा सके।

मिट्टी का नमूना फसल कि कटाई के बाद और बीज बोने के एक महीने पहले लेकर  मिट्टी का टेस्ट करवा लेना चाहिए ताकि समय रहते रिजल्ट मिल जाए और जरूरत के मुताबिक खेत को तैयार किया जा सके।

मिट्टी का नमूना लेने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जैसे कि जहां पर खाद का ढेर है, जहां से सिंचाई कि नाली बहती हो, यहां केमिकल डाला गया हो वहां से सेम्‍पल लेना चाहिए ।

गिली मिट्टी का नमूना नहीं लेना चाहिए और अगर लेना पड़े तो उसे पहले छाया वाली जगह में सुखा लेना चाहिए।

जमीन में झाड़ियों को जला दिया गया हो और केमिकल या सड़ी गली खाद 2 से 3 दिन पहले डाली गई हो तो सैंपल को सूती कपड़े की थैली या प्‍लास्‍टीक कि थेली में रखना चाहिए और केमिकल व रशायन के बोरे से दूर रखना चाहिए और सैंपल कलेक्ट करने से पहले हाथ धो लेना चाहिए।

कलेक्‍ट किये गये सैंपल को आप अपने नजदी कि कृषि विश्‍वविज्ञान में या फिर कृषि विज्ञान केंद्र में ले जा सकते हैं।

मिट्टी कि ऊर्वरक क्षमता कैसे बढाऐ ?

वैसे मिट्टी कि ऊर्वरक क्षमता को बनाए रखने के लिए कुछ उपाय भी हैं जिन्हें अपना कर के आप मिट्टी को एक सेहतमंद जिंदगी दे सकते हैं।

  1. मिट्टी घटती नमी मिट्टी की लाईफ को कम कर देती है इसलिए सिंचाई जरूरी है ताकी नमी बनी रहे जिससे पौधो कि ग्रोथ बनी रहेगी ।

कई किसान अपने खेतों को सूखने से बचाने के लिए उस पर घास और पुआल डाल देते हैं इस मिट्टी में डायरेक्ट धूप नहीं लगती है और सिंचाई हो चुकी मिट्टी जल्दी ही सूखती नहीं है यह एक बहुत ही आसान और अच्छा तरीका है।

      2. मिट्टी में एक ही तरह की फसल बोने से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता कम होने लगती है

इसीलिए आप धान, गेंहू, मक्‍का या और फसल कि कटाई कर ली है तो उसके बाद कोई ऐसी फसल लगाई है जो मिट्टी की उर्वरा क्षमता बढाती है जैसे आलू, टमाटर, गाजर, मटर, मूली, पत्ता गोभी जैसी सब्जियां मिट्टी की फर्टिलिटी को बढ़ाती है।

      3. केमिकल फर्टिलाइजर्स का बहूत ज्‍यादा इस्तेमाल होने से भी जमीन को long-term में बहुत नुकसान होता है

इसीलिए सब्‍जीयों के छीलके, पेडो कि पत्‍तीया और गोबर से बन ऑर्गेनिक खाद का स्‍तेमाल आपको फायदे में रखेगा ।

Soil Testing Methods

वैसे भी मार्केट में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की बढ़ती डिमांड के चलते ऑर्गेनिक फार्मिंग का ट्रेंड बढ़ता ही जा रहा है इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट बेंगलुरू ने अपनी वेबसाइट पर Soil Testing कि रेट लिस्ट डाल रखी है।

जिससे मिट्टी का PH लेवल और Micronutrients कि टेस्‍टींग के लिए किसानो को 500 रुपए और कंपनी या फार्म के लिए 1500 रूपये लगते है ।

अगर आप Google पर Soil testing center near me डालेंगे तो आपको अपने नजदीकी सेंटर का पता चलेगा जहां पर आप यह काम करवा सकते हैं।

मिट्टी कितनी उपजाऊ है और उसमें कितने ऑर्गेनिक पदार्थ है इसका पता लगाने का भी एक आसान तरीका है

आप जिस भी जमीन मे खेती कर रहे है उसमे छ इन तक मिट्टी खोदीए और देखीए कि मिट्टी में कितने कैचुए है अगर तीन से पांच कैचुंए दिख गए तो समझ लिए जिए कि मिट्टी फसल ऊगाने लायक है अगर केंचुए कम है तो आपको उस पर काम करना होगा।

अगर आप के आस पास Soil Testing सेंटर नहीं है तो कोई बात नहीं आप गवर्मेंट कि मदद से ऐसा एक सेंटर खुद खोल सकते हैं ।

सेंटर खोलने में लगभग ₹500000 का खर्च आता है जिसमें 75% यानी कि 375000 रूपये सेंट्रल गवर्नमेंट देती है।

Soil Health Card Scheme यही वो योजना है जिसमें 18 से 40 वर्ष का कोई भी व्यक्ति काम यह काम कर सकता है।

Soil Testing Methods

मिट्टी जांच प्रयोगशाला दो तरह की हो सकती है

1 पहला कि आप कोई जगह या दुकान किराए पर लेकर खोल सकते हैं

2 Mobile Soil Testing Van जो कही भी जाकर मिट्टी की जांच करके किसानों को रिजल्ट दे सकती है।

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तो उम्‍मीद करते है इसी आट्रीकल Soil Testing Methods ने आपकी आपकी काफी मदद हक होगी Soil testing को समझने के लिए तो कैसी लगी यह जानकारी जानकारी हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर किस जरूर बताइएगा ।

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